Amazing taste of Kachori:सर्दियों का मौसम हो और नाश्ते में आलू की गरमा-गरम कचौड़ियां और आलू की चटपटी सब्जी साथ में हो तो कहना ही क्या? कचौड़ी का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है. ऐसे में कचौड़ी अगर मां के हाथ की बनी हो तो बात ही अलग होती है. लेकिन शाहजहांपुर में मामा के हाथ की बनी हुई कचौड़ी भी बेहद स्वादिष्ट है. मामा की कचौड़ी को खाने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं.
मूलरूप से एटा जिले के रहने वाले ओमकार सक्सेना ने आज से 35 साल पहले शाहजहांपुर में कचौड़ी बनाकर बेचने का काम शुरू किया था. ओमकार ने बताया कि वह दिल्ली में रहकर सिलाई का काम करते थे. वहां काम छोड़ने के बाद शाहजहांपुर में अपनी बहन के घर आ गए. और यहां कचौड़ी बनाकर बेचने का काम शुरू कर दिया. यहां आज लोग उन्हें मामा के नाम से जानते हैं.
ओमकार सक्सेना की निशात टॉकीज रोड पर मामा कचौड़ी के नाम से दुकान है. उनकी दुकान सुबह 8 बजे से लेकर शाम 4 बजे तक खुली रहती है. उनके यहां रोजाना 250 से 300 लोग कचौड़ी खाने के लिए आते हैं. मामा के हाथ में स्वाद का जादू है. जिसकी वजह से लोग उनके हाथ की बनी कचौड़ी बड़े चाव से खाते हैं.
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ओमकार सक्सेना ने बताया कि आज से 35 साल पहले जब उन्होंने कचौड़ी बेचने का काम शुरू किया था. उस वक्त 2 रूपए की चार कचौड़ी हुआ करती थी और आज बढ़ती महंगाई के कारण अब 50 की चार कचौड़ी देते हैं. मामा कचौड़ी के साथ में सूखे आलू, रसीले आलू की सब्जी, छोले, रायता, अचार, सलाद और चटनी भी देते हैं. खास बात यह है कि यह आलू वाली कचौड़ी पानी के साथ बनाई जाती हैं.
कचौड़ी वाले मामा का कहना है कि वह कचौड़ी बनाने को लेकर क्वालिटी का बहुत ख्याल रखते हैं. वह खुद से पिरवाया हुआ सरसों का तेल इस्तेमाल करते हैं. और जो तेल एक बार कड़ाही में गर्म हो जाता है उस तेल को दोबारा इस्तेमाल नहीं करते. इतना ही नहीं कचौड़ी और सब्जी में इस्तेमाल होने वाले मसाले भी वह खुद लाकर घर पर ही पीसते हैं.
Amazing taste of Kachori