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बच्चों की अश्लील सामग्री फेसबुक पर प्रसारित करने के दोष में लुधियाना के व्यक्ति को 3 साल की कैद, 10 हज़ार रुपए का जुर्माना

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चंडीगढ़, 23 नवंबर:

माननीय जि़ला और सैशन अदालत एस. ए. एस. नगर ने लुधियाना के एक व्यक्ति को फेसबुक मेसेंजर के द्वारा बाल अश्लील सामग्री प्रसारित करने के दोष में तीन साल की सख़्त कैद की सज़ा सुनाई है और साथ ही 10000 रुपए का जुर्माना भी लगाया है। मुलजिम की पहचान लुधियाना के गाँव साहनेवाल के रहने वाले अनुज कुमार के तौर पर हुई है। 

प्राप्त जानकारी अनुसार, नेशनल सैंटर फार मिसिंग एंड ऐकसपलोइटिड चिल्ड्रेन (ऐनसीऐमईसी) से नेशनल साईबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (ऐनसीआरपी) पर प्राप्त बाल अश्लील सामग्री के प्रसारण सम्बन्धी मिली साईबर सूचना के बाद, पंजाब राज्य साईबर क्राइम सैल की इकाई महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साईबर अपराध रोकथाम ( सी. सी. पी. डब्ल्यू. सी.) ने मामले की जांच शुरू की, जिससे पता लगा है कि शक्की व्यक्ति ने 27- 11- 2020 को फेसबुक मेसेंजर के द्वारा बाल अश्लील वीडियो क्लिप प्रसारित की थी। 

इसके बाद, बाल अश्लील सामग्री को अपलोड/ प्रसारित करने के लिए पुलिस स्टेशन स्टेट साईबर क्राइम, पंजाब में आई. टी. एक्ट की धारा 67-बी के अंतर्गत केस एफआईआर नंबर 18 तारीख़ 18. 09. 2021 दर्ज किया गया था। 

इस सम्बन्ध में जांच के दौरान, अलग-अलग इन्टरनेट सेवा प्रदाताओं और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों से आई. पी. ऐडरैस समेत तकनीकी विवरण माँगे गए थे, जिससे दोषी की पहचान की जा सके। दोषी को 13 जनवरी, 2022 को गिरफ़्तार किया गया था और उसके कब्ज़े में से अपराध करने के लिए इस्तेमाल किया गया मोबाइल फ़ोन भी बरामद किया गया था। 

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डीआईजी साईबर क्राइम नीलांबरी जगदले ने बताया कि इलेक्ट्रानिक रूप में किसी भी सामग्री को प्रकाशित या प्रदर्शित करना जिसमें बच्चों को अश्लील हरकतों या व्यवहार में शामिल दिखाया गया हो या ऐतराजय़ोग्य टेक्स्ट या डिजिटल चित्र बनाऐ गए हों, ऐसी किसी भी सामग्री को एकत्रित करना, खोजना, ब्राऊज़ करना, डाउनलोड करना, इश्तिहार देना, प्रचार करना, अदान-प्रदान या बाँटना, जिसमें इलेक्ट्रानिक रूप में बच्चों के निजता और यौन शोषण हो, को दिखाना एक सज़ा योग्य कार्यवाही है जिसमें पाँच साल तक की कैद और जुर्माने की व्यवस्था है, जो 10 लाख रुपए तक हो सकता है। 

उन्होंने अभिभावकों को अपने बच्चों के साथ उनकी आनलाइन गतिविधियों के बारे खुल कर बात करने, बच्चों को अपनी निगरानी अधीन स्क्रीनों और डिवाईसों का प्रयोग करने की इजाज़त देने, बच्चों के आनलाइन दोस्तों पर नजऱ रखने और बच्चों को उनकी निजता गुप्त रखना सिखाने के लिए कहा। 

जि़क्रयोग्य है कि सी. सी. पी. डब्ल्यू. सी. महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध साईबर अपराधों को रोकने और निपटने के लिए स्थापित की गई एक विशेष इकाई है।

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