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जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके मामले में SGPC की जांच शुरू:पत्नी व बेटे से मिला जांच दल; पूछताछ कर कानूनी लड़ाई लड़ने का दिया आश्वासन

Jathedar Gurdev Singh’s Case

जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके की जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघुबीर सिंह के निर्देश पर एसजीपीसी प्रबंधक कमेटी ने जांच शुरू कर दी है। जांच के दौरान अकाल तख्त साहिब कमेटी के सदस्यों ने उनकी पत्नी गुरमेल कौर व बेटे हरी सिंह सहित गांव के कुछ लोगों के पूछताछ की। एसजीपीसी पूर्व सचिव भाई गुरचरण सिंह ग्रेवाल ने बताया कि एसजीपी प्रधान एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कानूनी विंग के सेवादार भगवंत सिंह व उनकी टीम की इस मामले को लेकर ड्यूटी लगाई गई है, जो कि इस मामले को लेकर आरोपियों को सजा दिलाने के लिए लड़ाई लडेगी।

पहली बार जांच रिपोर्ट आई सामने

अकाल तख्त के पूर्व जत्थेदार गुरदेव सिंह काउंके की रहस्यमय ढंग से गुमशुदगी और कथित हत्या के 31 साल बाद पहली बार एक जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की गई है। रिपोर्ट, को जुलाई 1999 में शिअद सरकार को सौंपी गई थी, पंजाब मानवाधिकार संगठन (पीएचआरओ), एक गैर सरकारी संगठन द्वारा जारी की गई थी। काउंके की गैर-न्यायिक हत्या के आरोपों के बाद 1998 में पंजाब सरकार द्वारा आदेशित जांच, तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) बीपी तिवारी द्वारा की गई थी।

यह था मामला

1986 में जरनैल सिंह भिंडरावाले के भतीजे जसबीर सिंह रोडे को सिखों की अस्थायी सीट का जत्थेदार नियुक्त किया गया था। चूंकि वह जेल में थे, सरबत खालसा ने गुरदेव सिंह काउंके को कार्यवाहक जत्थेदार नियुक्त किया। 20 दिसंबर 1992 को गुरदेव सिंह काउंके को उस समय के एसएचओ ने उनके घर से उठाया था, लेकिन उनके पोते की मृत्यु के कारण, ग्रामीणों के हस्तक्षेप के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। लेकिन 25 दिसंबर 1992 को उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद वह फिर कभी गांव अपने घर नही आए।

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कथित तौर पर उसे अवैध कारावास में रखने के बाद, उसे 2 जनवरी 1993 को एक हत्या के मामले में गिरफ्तार दिखाया गया और बाद में पुलिस हिरासत से फरार दिखाया गया।

Jathedar Gurdev Singh’s Case

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