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तिग्मांशु धुलिया में नए पीढ़ी के एक्टर्स को बताया ‘भयानक’, फिल्मों की गिरते स्तर पर जताई चिंता, बोले- ‘नहीं कर सकते…’

Tigmanshu Dhulia

फिल्ममेकर और एक्टर तिग्मांशु धुलिया का डायरेक्शन और एक्टिंग बेहद कमाल है. वह दोनों ही रूपों में बहुत अच्छा काम करते हैं. इंडस्ट्री में उन्होंने कई सुपरहिट और यादगार फिल्में दी हैं, साथ ही दमदार अदाकारी भी दिखाई है. एक इंटरव्यू में उन्होंने नई जनरेशन के बड़े स्टार्स पर तंज कसा है. साथ ही बताया कि हिंदी फिल्मों का स्तर काफी गिर गया है. उन्होंने कहा कि इन स्टार्स को भारत की हकीकत का अनुभव नहीं है, जिसकी वजह से गतिरोध पैदा होता है. उन्होंने कहा कि नई पीढ़ी के कलाकारों में इम्प्रोवाइजेशन भारी कमी है.

तिग्मांशु धुलिया ने रेड माइक को दिए इंटरव्यू में कहा कि मेनस्ट्रीम एक्टर्स को इम्प्रोवाइजेशन में सुधार की जरूरत है. उनकी लैग्वेंज स्किल में बहुत ही कमी है, जिसकी वजह से उनकी परफॉर्मेंस भी घटिया होती है. उन्होंने कहा, “हमारे मुख्यधारा के एक्टर्स इम्प्रोवाइजेशन करने में असमर्थ हैं.”

तिग्मांशु धुलिया ने आगे कहा, “वे घर पर पूरे दिन अंग्रेजी बोलते हैं, उन्हें रोमन में स्क्रिप्ट मिलती है, वे सुधार नहीं कर सकते हैं, और यही कारण है कि वे सभी टेरिबल हैं.” उन्होंने कहा कि वह ‘पत्थर’ से भी परफॉर्मेंस करमें काबिलियत रखते हैं. इसके बाद उन्होंने ‘भारतीय सिनेमा की बड़ी त्रासदी’ के बारे में बात की और बताया कि इसमें गिरावट क्यों आ रही है.

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छोटे-छोटे शहरों से आए थे फिल्ममेकर्सः तिग्मांशु धुलिया

तिग्मांशु धुलिया ने कहा, “विभाजन के बाद, हर जगह से लोग मुंबई आए. लाहौर में फिल्म इंडस्ट्री था, बंगाल में अभी भी फिल्म इंडस्ट्री है. अकेले महाराष्ट्र में, कोल्हापुर और पुणे में स्टूडियो थे. बिमल रॉय मुंबई आए, हृषिकेश मुखर्जी मुंबई आए, आनंद बंधु और पृथ्वीराज कपूर पंजाब से आए… वे अपने साथ अपनी कहानियां और कल्चर लेकर आए. फिर, उनके बच्चे हुए और उनके बच्चे शादी करके मुंबई में बस गए.”

नई पीढ़ी के एक्टर्स नहीं देखा भारतः तिग्मांशु धुलिया

तिग्मांशु धुलिया ने आगे कहा, “ये लोग मुंबई से थे. उन्होंने बाकी भारत कभी नहीं देखा. वे शायद पापा की शूटिंग देखने के लिए ही कश्मीर जाते थे. उन्होंने लंदन और न्यूयॉर्क ट्रैवल किया. इन बच्चों ने फिल्मों की अपनी समझ से फिल्में बनाईं. जिसमें एक हीरो, सॉन्ग वगैरह होने चाहिए. डेवलेपमेंट की कमी है. फॉर्मूला फिल्मों का उदय इसी से हुआ है.” तिग्मांशु धुलिया ने कहा कि 2000 के दशक की शुरुआत में बदलाव हुए जब फिल्म मेकर्स का एक नया ग्रुप छोटे शहर से मुंबई आया. इसमें वह खुद भी शामिल थे. लेकिन पैसे के चक्कर में क्रिएटिविटी को भूल गए.

Tigmanshu Dhulia

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