Delhi Pollution:एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया समेत अन्य विशेषज्ञों ने जोर देकर कहा है कि दिल्ली में प्रदूषण खत्म करने के लिए चाहे जो कीमत चुकानी पड़े, इसे खत्म करना चाहिए.
दिल्ली में लगातार बढ़ते प्रदूषण को लेकर विशेषज्ञों ने इस बात पर जोर दिया है कि राजधानी दिल्ली में हवा को दूषित होने से बचाने के लिए हर कीमत पर कदम उठाए जाने चाहिए.
एम्स के पूर्व निदेशक रणदीप गुलेरिया ने कहा है कि दिल्ली की हवा लगातार दूषित होती जा रही है. इससे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को रोकने के लिए बिना रुके किसी भी कीमत पर कारगर कदम तत्काल उठाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रदूषण साइलेंट किलर बन गया है. इसे हर कीमत पर खत्म करना जरूरी है.
विशेषज्ञों का कहना है कि शोध बताते हैं कि लगातार बढ़ता प्रदूषण राजधानी में लोगों को दिल, दिमाग, सांस के मरीजों के लिए घातक साबित हो सकता है.
रिसर्च में इस बात का भी खुलासा हुआ है कि प्रदूषण बढ़ने की वजह से बच्चों में न केवल अस्थमा की गंभीर बीमारी होती है बल्कि उनकी बुद्धिमत्ता भी कम हो जाती है. यदि जल्द प्रदूषण पर प्रभावी कदम नहीं उठाया गया तो समस्या बड़ा रूप ले सकती है.
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दिल्ली में प्रदूषण की समस्या को देखते हुए एम्स में वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य -विज्ञान, नीति, कार्यक्रम और सामुदायिक जुड़ाव पर आगे बढ़ने के लिए कार्रवाई विषय पर सेमिनार का आयोजन हुआ. इस नेशनल सेमिनार में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कई कारगर उपाय सुझाए हैं.
इसमें प्रदूषण से होने वाले शोध का डाटा तैयार करना, उस डेटा के आधार पर केंद्र और राज्य की सरकारों से राष्ट्रीय नीति तैयार करवाना शामिल है. साथ ही प्रदूषण की रोकथाम के अभियान में आम लोगों को जोड़ने के लिए बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाने पर सहमति बनी है.
प्रदूषण की रोकथाम के लिए टास्क फोर्स भी बनाया जा सकता है, जो राज्यों में प्रदूषण के कारकों को समझकर उन पर लगाम लगाने के लिए कारगर कदम उठाएगा.
इसके साथ ही प्रदूषण रोकथाम के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं और बजट में बढ़ोतरी पर भी सेमिनार में चर्चा हुई है. दीपावली से पहले दिल्ली में हवा की गुणवत्ता खतरनाक स्तर पर पहुंच गई थी.
दिल्ली के पड़ोसी राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में खेतों में किसानों की ओर से पराली चलाए जाने के बाद राजधानी के साथ ही एनसीआर यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव, गाजियाबाद में करीब 10 दिनों से अधिक समय तक धुंध छाई रही. इसकी वजह से लोगों को सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी.
विज्ञान पत्रिका लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक साल में करीब 24 लाख लोगों की मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार है. इस हिसाब से रोजाना 6.5 हजार लोगों की मौत प्रदूषण से होने वाली बीमारियों की वजह से होती है.
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