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बठिंडा रिहैबिलिटेशन सेंटर के बाहर पहुंचे पुलिस अधिकारी;कुछ लोग बोली लगाकर ऊंचे दामों पर बेच रहे थे नशा मुक्ति की गोलियां…

  • Bathinda Rural DSP

बठिंडा ग्रामीण डीएसपी और सरकारी अस्पताल से डॉक्टरों की टीम भी रिहैबिलिटेशन सेंटर पहुंची। पुलिस ने कहा कि इस सेंटर के बाहर जितने भी नशेड़ियों के अड्डे हैं, चाहे वो चाय की दुकानें हों या रेडी टू यूज की दुकानें हों, उन्हें जल्द से जल्द इलाका खाली कर देना चाहिए।

डीएसपी हिना गुप्ता ने बताया कि उनकी ओर से सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12 बजे तक यहां स्थाई तौर पर एक टीम तैनात की गई है। जब तक यह पुनर्वास केंद्र खुला रहेगा और लोग दवा लेने आएंगे, तब तक कल यहां पुलिस की तैनाती रहेगी। बाहर नशीली गोलियां बेचने का मामला सामने आया था।

इस सेंटर के प्रभारी डॉ. अरुण बंसल का कहना है कि आज हमने रूटीन में कई नशा करने वालों का टॉप टेस्ट किया है, जो नेगेटिव या है, हमने उन सभी के कार्ड रद्द कर दिए हैं और बाकी जो लोग हैं। कल वीडियो में दिखे थे उनका भी परीक्षण किया गया है। उन सभी के कार्ड हमने रद्द कर दिए हैं और आगे भी ऐसी जांच जारी रहेगी

बठिंडा के रिहैबिलिटेशन सेंटर के बाहर लगती ​​​​​​नशेड़ियों की दुकान है। यहां पर सरकार की ओर से मिलने वाली सरकारी नशा छोड़ने वाली गोलियां कुछ लोग अंदर से लेकर बाहर मोटे दामों पर बोली लगाकर नशेड़ियों को बेचते हैं। रिहैबिलिटेशन सेंटर की बाहर चाय बेचने वाली रेहड़ियों पर यह गोरख धंधा चलता है। सेंटर से गोलियां बेचने वाला व्यक्ति महज 5-10 मिनट के अंतराल में गोलियां बेचकर रफू-चक्कर हो जाता है।

यहां सुबह 9 बजे केंद्र खुलते ही गोलियों के खरीदार केंद्र के बाहर मंडराने लगते हैं। यह क्रम दोपहर में केंद्र बंद होने तक जारी रहता है। सबसे बड़ी बात यह है कि एक गोली 50 रुपए में खरीदने के बाद उक्त गोली आगे 100-150 रुपए में बेची जाती है।

प्रबंधकों ने मामले के बारे में कई बार पुलिस को सूचना दी लेकिन पुलिस सिर्फ खानापूर्ति करती है। सेंटर के आस-पास बने चाय आदि के खोखों में भी इन गोलियों को खरीदा सकता है। ओट सेंटर के बाहर गोलियां खरीदने वाले कुछ लोगों को वीडियो भी सामने आया था।

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पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि कुछ लोगों ने फर्जी तरीके से आईडी कार्ड बना रखे हैं जो गोलियां लेने के बाद बाहर बेच देते हैं। मामला सामने आने के बाद एसपी सिटी ने कहा कि जल्द ही इस संबंध में बड़ा एक्शन लिया जाएगा।

जानकारी के अनुसार नशा छोड़ने वालों की जांच के बाद नशा छुड़ाने वाली गोली का आईकार्ड बनता है। उक्त आईडी कार्ड के आधार पर ओट सेंटर में पंजीकृत नशा पीड़ितों को दवा दी जाती है। पंजाब सरकार ने पिछले साल आदेश जारी किया था कि नशा पीड़ितों को एक सप्ताह की दवा दी जाए, ताकि उन्हें बार-बार न आना पड़े।

जिसके बाद से अब नशा छोड़ने वालों को सप्ताह में सात दिन की गोलियां एक साथ दी जाती हैं। इससे पहले नियम था कि नशा छोड़ने वाले को एक गोली उसी समय उसकी जीभ के नीचे रखी जाती थी। लेकिन धीरे-धीरे दवा वितरण की पॉलिसी में बदलाव किया गया।

जब एक व्यक्ति ने इतनी महंगी गोली के बारे में पूछा तो उसका जवाब था चिट्टा पीड़ित को जब कुछ नहीं मिलता तो यही उसका सहारा बनती है। बता दें कि अधिकतर ऐसे हैं जिन्हें नशे की लत नहीं है लेकिन गोली लेकर उसे बेचकर पैसे कमा रहे हैं। ओट सेंटर के बाहर सारा दिन इधर-उधर ग्रुप बना खड़े सौदागर अंदर से गोली लेने वालों को घेर लेते हैं और कुछ ही मिनटों में गोलियों का सौदा तय हो जाता है।

Bathinda Rural DSP

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