Friday, November 22, 2024
Google search engine
Friday, November 22, 2024
HomeUncategorizedहुक्मनामा श्री दरबार साहिब 31जनवरी 2024

हुक्मनामा श्री दरबार साहिब 31जनवरी 2024

Aaj Ka Hukamanama

रामकली महला ५ ॥ तन ते छुटकी अपनी धारी ॥ प्रभ की आगिआ लगी पिआरी ॥ जो किछु करै सु मनि मेरै मीठा ॥ ता इहु अचरजु नैनहु डीठा ॥१॥ अब मोहि जानी रे मेरी गई बलाइ ॥ बुझि गई त्रिसन निवारी ममता गुरि पूरै लीओ समझाइ ॥१॥ रहाउ ॥ करि किरपा राखिओ गुरि सरना ॥ गुरि पकराए हरि के चरना ॥ बीस बिसुए जा मन ठहराने ॥ गुर पारब्रहम एकै ही जाने ॥२॥

(हे भाई! गुरु की कृपा से) मेरे शरीर में से यह मित्थ ख़त्म हो गयी है की यह शरीर मेरा है, यह शरीर मेरा है| अब मुझे परमात्मा की रजा मीठी लगने लग गई है| जो कुछ परमात्मा करता है,वह (अब) मेरे मन में मीठा लग रहा है | (इस आत्मिक तबदीली का ) का आश्चर्यजनक तमाशा मैंने प्रत्यक्ष देख लिया है|1| हे भाई! अब मैंने (आत्मिक जीवन की मार्यादा) समझ ली है, मेरे अंदर से (अरसे से चिपकी हुई ममता की) डैन (डायन) निकल गयी है | पूरे गुरु ने मुझे ( जीवन की) सूझ दे दी है | (मेरे अंदर से )माया के लालच की अग्नि बुझ गयी है, गुरु ने मेरा माया का मोह दूर कर दिया है |1|रहाउ| (हे भाई! गुरु ने कृपा कर के मुझे अपनी शरण में रखा हुआ है| गुरु ने भगवान् के चरण पकड़ा दिए हैं| जब जब मेरा मन पूरे तौर पर ठहर गया है, (टिक गया है) मुझे गुरु और परमात्मा एक-रूप दिख रहे हैं |2|

Aaj Ka Hukamanama

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments