पंजाब में केंद्र की कृषि पॉलिसी ड्राफ्ट रद्द , मान सरकार बोली- खेती राज्य का विषय
Agriculture Marketing Policy Draft पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि मार्केटिंग पॉलिसी ड्राफ्ट को रद्द कर दिया है। इस संबंध में केंद्र सरकार को जवाब भेज दिया गया है। सीएम भगवंत मान ने पहले इस संबंध में साफ कर चुके थे, यह बिल हमें मंजूर नहीं है। वहीं केंद्र सरकार ने […]
Agriculture Marketing Policy Draft
पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार की ओर से जारी कृषि मार्केटिंग पॉलिसी ड्राफ्ट को रद्द कर दिया है। इस संबंध में केंद्र सरकार को जवाब भेज दिया गया है। सीएम भगवंत मान ने पहले इस संबंध में साफ कर चुके थे, यह बिल हमें मंजूर नहीं है। वहीं केंद्र सरकार ने पंजाब को इस संबंध में 10 जनवरी तक सुझाव भेजने के आदेश दिए थे।
पंजाब सरकार ने अपने पत्र में लिखा है कि यह ड्राफ्ट 2021 में निरस्त किए गए कृषि कानूनों के विवादास्पद प्रावधानों को वापस लाने का एक प्रयास है। राज्य के अधिकारों का हवाला देते हुए कहा गया है कि भारतीय संविधान की 7वीं अनुसूची-2, धारा 246 की प्रविष्टि 28 के तहत कृषि राज्य का विषय है। ऐसी नीति लाने की बजाय केंद्र को यह फैसला पंजाब सरकार पर छोड़ देना चाहिए।
पंजाब सरकार ने पत्र में उठाए हैं ये सवाल
पंजाब सरकार ने पत्र में सवाल उठाया है कि ड्राफ्ट में फसलों के एमएसपी को लेकर पूरी तरह से चुप्पी है। जो पंजाब के किसानों के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है। ड्राफ्ट में पंजाब की मार्केट कमेटियों को अप्रासंगिक बनाने के लिए निजी मंडियों को बढ़ावा दिया गया है। जो राज्य को स्वीकार्य नहीं है।
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पंजाब में अपनी मंडी व्यवस्था है। ड्राफ्ट में मंडी फीस पर कैप लगाई गई है। जिससे पंजाब में मंडियों के नेटवर्क और ग्रामीण ढांचे को नुकसान पहुंचेगा। पत्र में यह भी लिखा है कि पंजाब सरकार को नई खेती मंडी नीति के ड्राफ्ट पर आपत्ति है, जिसमें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को बढ़ावा देने और निजी साइलो को ओपन मार्केट यार्ड घोषित करने की बात कही गई है। साथ ही कमीशन एजेंटों का कमीशन रद्द करने का हवाला दिया गया है।
केंद्र सरकार द्वारा 25 नवंबर को मसौदा जारी होते ही पंजाब में इसका विरोध शुरू हो गया था। तब पंजाब ने इस पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार से समय मांगा था। इसके बाद पंजाब सरकार ने किसानों, आढ़तियों और इस मसौदे से जुड़े लोगों के साथ बैठक की।
जिसके बाद इस दिशा में फैसला लिया गया है। पंजाब के किसान पहले से ही इस मसौदे के खिलाफ हैं। उन्होंने इसके खिलाफ संघर्ष का ऐलान किया है। हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने तर्क दिया था कि यह मसौदा कृषि विपणन की चुनौतियों से लड़ने और कृषि विपणन में सुधार का एक प्रयास है। इसके साथ ही व्यापार को सरल बनाने के लिए कृषि बाजार में डिजिटलीकरण और सुधार का तर्क भी है।
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