Malerkotla Taylor NDPS Case
पंजाब में मालरेकोटला के एक दर्जी को पुलिस से वर्दी सिलाई का 2 लाख का बिल मांगना महंगा पड़ गया। पुलिस ने दर्जी को भुगतान तो नहीं किया, जबकि उस पर नशा तस्करी का केस ठोक दिया। वहीं, अब मामला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट पहुंचा है। इसके बाद कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए दर्जी को उसकी दुकान के बाहर लगे CCTV कैमरों का डिजिटल वीडियो रिकॉर्ड (DVR) सीधे सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लैब (CFSL), चंडीगढ़ में जमा करवाने की मंजूरी दी है।
हाईकोर्ट ने मामले की जांच कर रही SIT को 26 फरवरी तक जांच के संबंध में रिपोर्ट सौंपने को कहा है। साथ ही आदेश दिए हैं कि आरोप सही पाए जाने पर आरोपी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
बेटे की शादी के चलते मांगी बकाया राशि
हाईकोर्ट में दर्जी बाबू खान ने अपना पक्ष रखते हुए बताया कि वह सालों से पुलिस मुलाजिमों की वर्दी सिलाई कर रहा है। उसके घर पर बेटे की शादी है। ऐसे में उन्हें पैसों की जरूरत थी। जिसके चलते पुलिस कर्मियों पर बकाया 2 लाख रुपए की राशि मांगी थी। इससे नाराज होकर पुलिस अधिकारियों ने 5 किलो अफीम तस्करी का केस उस पर दर्ज कर दिया। पुलिस कर्मी उसे निजी गाड़ी में दुकान से ले गए।
इसके बाद कुछ पुलिस मुलाजिम सिविल ड्रेस में उसकी दुकान पर आए। वह उसकी दुकान से CCTV और DVR ले गए। साथ ही फॉर्मेट कर उन्हें लौटा गए। हालांकि, जब इस फुटेज की रिकवरी की गई तो यह सारी कहानी सामने आ गई।
पंजाब पुलिस की जांच पर उठाया था सवाल
दर्जी बाबू खान के वकील ने हाईकोर्ट में कहा कि उन्हें जांच एजेंसी पर कोई भरोसा नहीं है, वह अपने ही अधिकारियों को बचाने पर तुली हुई है। जिन्होंने याचिकाकर्ता पर ऐसे जघन्य अपराध का आरोप लगाया था। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील की है कि उन्हें मूल DVR सीधे CFSL में जमा करने की अनुमति दी जाए।
इस पर सरकारी वकील ने हाईकोर्ट को बताया कि आरोपियों की जांच कर रही SIT मामले को देख रही है। पेन ड्राइव और तस्वीरें प्रमाणीकरण और सत्यापन के लिए CFSL चंडीगढ़ को भेज दी हैं। उन्होंने इस मामले में CBI जांच की मांग की थी।
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हाईकोर्ट में सरकार ने यह पक्ष रखा था
इस मामले में 14 दिसंबर 2023 को पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट को बताया था कि इस केस की जांच सही तरीके से की जा रही है। IG फरीदकोट की अगुवाई में SIT केस की जांच कर रही है। हालांकि, हाईकोर्ट ने कहा था कि दोषी अधिकारियों पर कोई नरमी नहीं होनी चाहिए। SIT को इन तथ्यों से नहीं भटकना चाहिए कि आरोप उनके अधीनस्थों पर हैं।
पंजाब पुलिस के निष्पक्ष जांच के आश्वासन के बाद हाईकोर्ट ने अपने उस आदेश को स्थगित कर दिया था। जिसके माध्यम से उसने CBI के वरिष्ठ अधिकारी को बुलाया था।
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