Haryana Private Medical College
हरियाणा में प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की बड़ी लापरवाही सामने आई है। प्रदेश के सभी प्राइवेट मेडिकल कॉलेज अपने इंटर्न और पीजी स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप के नाम पर शोषण कर रहे हैं। कई कॉलेज स्टूडेंट्स को मिलने वाली स्कॉलरशिप तक नहीं दे रहे हैं, और जो दे रहे हैं वह उसमें 50 प्रतिशत तक की कटौती कर रहे हैं। जबकि नियम के मुताबिक स्टूडेंट्स को अधिकतम 91 हजार रुपए स्कॉलरशिप का प्रावधान है, लेकिन कॉलेज प्रबंधन सिर्फ उन्हें 40 हजार रुपए महीने का ही भुगतान कर रहे हैं।
इसका खुलासा तब हुआ जब सीएम विंडो पर इसकी शिकायत पहुंची, इसके बाद चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान विभाग (DMER) अलर्ट मोड पर आ गया है।
हरियाणा के एमएम कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज, मुलाना (अंबाला), एसजीटी मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट, बुढेरा (गुरुग्राम) आदेश मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल, शाहाबाद (कुरुक्षेत्र), अल-फलाह मेडिकल कॉलेज, धौज, एनसी मेडिकल कॉलेज, इसराना (पानीपत), वर्ल्ड कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंस, झज्जर, महर्षि मारकंडेश्वर मेडिकल कॉलेज, सादोपुर (अंबाला) और अमृता स्कूल ऑफ मेडिसिन, फरीदाबाद में स्कॉलरशिप को लेकर लापरवाही मिली है।
इसके बाद डायरेक्टर (DMER) ऑफिस द्वारा हाल ही में इन कॉलेजों में इसको लेकर लेटर जारी किया गया है।
सूत्रों के अनुसार, डीएमईआर ने मेडिकल कॉलेजों पर अपने इंटर्न और पीजी छात्रों को स्कॉलरशिप के पेमेंट में एनएमसी और राज्य सरकारों द्वारा जारी दिशा निर्देशों का ‘उल्लंघन’ करने का आरोप लगाने वाली शिकायतें मिलने पर पत्र जारी किया है।
नियमों के अनुसार सरकारी कॉलेज पहले वर्ष के लिए 86,170 रुपए, दूसरे वर्ष के लिए 88,781 रुपए और तीसरे वर्ष के लिए 91,392 रुपए महीने स्कॉलरशिप देने का नियम है। लेकिन निजी कॉलेज दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रहे हैं। यहां तक कि, राज्य सरकार की 9 अगस्त, 2023 को जारी नोटिफिकेशन में भी स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एमडी-एमएस पाठ्यक्रम की वशेषताओं के बावजूद सभी पीजी छात्रों को सरकार द्वारा पीजी छात्रों को दिए जाने वाले वजीफे के बराबर वजीफा दिया जाएगा।
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सीएम विंडो पोर्टल पर दर्ज शिकायतों में से एक में, झज्जर के राम कंवर ने आरोप लगाया कि पंडित बीडी शर्मा यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज (UHS), रोहतक से संबद्ध तीन निजी मेडिकल कॉलेज एमडी में नामांकित अपने छात्रों को प्रति माह केवल 40,000 रुपए का भुगतान कर रहे हैं। एमएस पाठ्यक्रम, जो राज्य सरकार द्वारा निर्धारित राशि से 50 प्रतिशत से भी कम था। शिकायतकर्ता ने कहा कि उनकी बेटी को राज्य सरकार और एनएमसी के निर्देशों का उल्लंघन करते हुए एक निजी कॉलेज द्वारा प्रति माह 40,000 रुपए का वजीफा दिया जा रहा है।
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