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हरियाणा में डेरा प्रमुख की रस्म-पगड़ी पर हिंसा की आशंका:इंटरनेट बंद

Sirsa Dera Jagmalwali

हरियाणा के सिरसा में डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब की रस्म पगड़ी आज पुलिस के कड़े पहरे में होगी। वकील साहब के निधन के बाद डेरा की गद्दी को लेकर दो पक्षों में टकराव की आशंका को लेकर हरियाणा सरकार ने सिरसा में इंटरनेट सेवा बंद कर रखी है। बुधवार शाम 7 बजे के जिले में इंटरनेट सेवा बंद हो गई थी।

डेरा जगमालवाली को सिरसा प्रशासन ने छावनी में तब्दील कर दिया है। सिरसा के अलावा फतेहाबाद व हिसार से पुलिस फोर्स सिरसा बुलाई गई है। इनकी तैनाती डेरा जगमालवाली के चारों तरफ कर दी गई है। रस्म पगड़ी के अवसर पर हरियाणा, पंजाब व राजस्थान के अलावा देश के अन्य राज्यों से हजारों की संख्या में श्रद्धालु आ रहे हैं।

SP दीप्ति गर्ग ने कहा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। 15 से 16 कंपनियां यहां तैनात की हैं ताकि ऐसी कोई स्थिति न बने जिससे कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़े।

सिरसा प्रशासन को आशंका है कि डेरा की गद्दी को लेकर अपना दावा कर रहे दो पक्षों के बीच टकराव हो सकता है। सीआईडी दोनों पक्षों पर पैनी नजर रखे हुए है। प्रशासन के पास रिपोर्ट है कि अगर दोनों पक्षों में टकराव हुआ तो सिरसा में हिंसा हो सकती है।

डेरा जगमालवाली के संत वकील साहब का 1 अगस्त को निधन हो गया था। जिस दिन डेरा प्रमुख को डेरा लाया गया, उसी दिन से ही गद्दी को लेकर विवाद हो गया था और 2 पक्षों में फायरिंग भी हुई। तब से लेकर आज तक गद्दी पर फैसला नहीं हो पाया है।

डेरा प्रमुख महाराज बहादुर चंद वकील के निधन के बाद डेरे के मुख्य सेवक सूफी गायक महात्मा बीरेंद्र सिंह गद्दी पर वसीयत के आधार पर अपना दावा ठोक रहे हैं। वहीं, डेरामुखी के भतीजे अमर सिंह वसीयत और उनकी मौत को संदिग्ध मान रहे हैं। ये दोनों पक्ष आमने-सामने हैं।

डेरा मुखी के भतीजे अमर सिंह का दावा है कि डेरा प्रमुख वकील साहब की मौत 21 जुलाई को हो चुकी थी। मौत के बाद डेरे और संगत को गुमराह किया गया कि महाराज की हालत स्थिर है। गद्दी हथियाने के चक्कर में जानबूझकर मौत को छिपाया गया और 1 अगस्त को उनकी मौत दिखाकर तुरंत डेरे में अंतिम संस्कार की योजना बनाई गई। बीरेंद्र सिंह और उसके साथियों ने मिलकर यह सब किया।

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वहीं, दूसरे पक्ष में महात्मा बीरेंद्र सिंह से जुड़े शमशेर सिंह लहरी ने कहा कि डेरा प्रमुख ने बिना किसी के दबाव में डेरे की वसीयत डेढ़ साल पहले ही महात्मा बीरेंद्र सिंह सिंह के नाम की थी। वसीयत के अनुसार महात्मा बीरेंद्र ही डेरे के उत्तराधिकारी हैं। मगर पहला पक्ष इनको उत्तराधिकारी मानने को तैयार नहीं है।

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