Gurkirat Singh Kotli
पंजाब के लुधियाना में पूर्व कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु को लोकसभा टिकट देने का पूर्व विधायक विरोध कर रहे हैं। इस बीच खन्ना से दो बार विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे गुरकीरत सिंह कोटली का नाम भी चर्चा में है।
अगर कांग्रेस हाईकमान कोटली को लोकसभा का टिकट देकर उम्मीदवार बनाती है तो शहर की राजनीति के समीकरण बदल जाएंगे। लोग एक भाई को दूसरे भाई के खिलाफ चुनाव लड़ते देखेंगे।
गुरकीरत सिंह कोटली पूर्व सीएम स्व. बेअंत सिंह परिवार से हैं। वह बीजेपी प्रत्याशी रवनीत सिंह बिट्टू के चचेरे भाई हैं। कोटली की कांग्रेस आलाकमान में अच्छी पकड़ है। उन्हें राहुल गांधी का भी करीबी माना जाता है।
स्व. बेअंत सिंह के नाम पर लोगों से वोट बटोरने के लिए बीजेपी बिट्टू को टिकट दे सकती है तो बेअंत सिंह के नाम पर अपना वोट बैंक बचाने के लिए कांग्रेस कोटली पर दांव खेलने को तैयार है।गुरकीरत सिंह कोटली के पिता तेजप्रकाश सिंह कोटली पायल से विधायक रह चुके हैं।
2012 में खन्ना से और फिर 2017 में पंजाब विधानसभा के लिए कोटली चुने गए। कोटली पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय बेअंत सिंह के पोते हैं, उन्होंने 1992 में युवा कांग्रेस नेता के रूप में अपना राजनीतिक करियर शुरू किया था। गवर्नमेंट कॉलेज, सेक्टर-11, चंडीगढ़ , कोटली से BA की है।
2008 में पंजाब युवा कांग्रेस के प्रमुख के लिए चुनाव लड़ने के लिए उनसे कहा गया था, लेकिन केवल 2 या 3 महीने से अधिक उम्र होने के कारण वह चुनाव नहीं लड़ सके थे। कोटली सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के चचेरे भाई (पिता के भाई के बेटे) है।
गुरकीरत बेअंत सिंह परिवार की तीसरी पीढ़ी से आते हैं जो 1969 से पंजाब की राजनीति में सक्रिय हैं। गुरकीरत के पिता तेज प्रकाश तीन बार विधायक और पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके है। आखिरी बार वह 2002-2007 तक कैप्टन अमरिंदर के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार में परिवहन मंत्री थे।
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हालांकि उनके परिवार का पैतृक गांव लुधियाना के पायल निर्वाचन क्षेत्र में कोटला अफगाना है, जहां से तेज प्रकाश दो बार विधायक रहे हैं पायल को ‘आरक्षित’ निर्वाचन क्षेत्र के रूप में अधिसूचित किए जाने के बाद गुरकीरत ने अपना पहला विधानसभा चुनाव लुधियाना के खन्ना निर्वाचन क्षेत्र 2017 में लड़ा और जीते।
Gurkirat Singh Kotli