Tuesday, September 17, 2024
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हरियाणा का छोरा पेरिस ओलिंपिक में बना मेन डिफेंडर

Haryana Player Struggle Story

पेरिस ओलिंपिक में रविवार को ब्रिटेन के साथ हुए भारत के हॉकी मुकाबले में हरियाणा के छोरे संजय ने दमदार खेल दिखाया। मैच के दौरान अमित रोहित दास को रेड कार्ड दिखाकर बाहर कर दिए जाने के बाद संजय ने मेन डिफेंडर की भूमिका निभाई।

उन्होंने अमित की जिम्मेदारी भी अपने कंधों पर उठाते हुए पूरे मैच में विपक्षी टीम के 19 पास रोके। साथ ही गोल के 2 प्रयासों को विफल कर दिया। हिसार के गांव डाबड़ा के संजय ऐसी जगह से हैं जहां हॉकी के लिए कोई सुविधा नहीं है।

संजय के कोच राजेंद्र सिहाग ने गांव में लड़कों को हॉकी सिखाने के लिए पंचायती जमीन पर खुद के पैसों से ग्राउंड तैयार किया और बिना सरकारी मदद के ओलिंपियन तैयार कर दिया। संजय की उपलब्धि पर पूरे गांव को गर्व है। संजय की इस मदद के साथ भारत ने ब्रिटेन को शूट आउट में मात दी।

गांव डाबड़ा में ग्रामीणों और परिवार के लोगों ने संजय के चाचा के घर एकत्रित होकर एक साथ LED पर मैच देखा। बच्चे, बुजुर्ग व युवा सभी पूरे मैच को एकटक देखते रहे। सभी ने भारतीय टीम के गोल करने पर खूब तालियां बजाईं और हूटिंग की।

संजय ने मैच में तीसरे व चौथे क्वार्टर में ब्रिटेन को कोई गोल नहीं करने दिया। ब्रिटेन ने शुरुआत से ही भारतीय टीम के गोल पोस्ट पर आक्रमण किए। इन सभी आक्रमण को भारतीय टीम ने विफल कर दिया। संजय ने मैच में प्रमुख भूमिका निभाते हुए गोल के नजदीक एक पास रोका, जो गोल में तब्दील होने वाला था।

भारत की जीत पर संजय के पिता नेकीराम व माता कौशल्या देवी व परिवार के अन्य लोगों ने खुशी मनाई। सभी ने कामना की है कि भारत सेमीफाइनल में तो पहुंच गया है, बस फाइनल और जीत जाए। कहा कि वे सेमीफाइनल मैच से पहले पूजा करेंगे, ताकि भारतीय टीम जीत सके।

कोच राजेंद्र ने बताया कि संजय और अन्य खिलाड़ियों की बदौलत टीम ने गोल रोके तो मैच के पहले क्वार्टर में स्कोर 0-0 से बराबर रहा। दूसरे क्वार्टर में भारत के खिलाड़ी अमित को विपक्षी खिलाड़ी के चेहरे पर हॉकी लगने पर रेड कार्ड दिया गया। इसकी वजह से टीम को 10 ही खिलाड़ियों से खेलना पड़ा।

एक खिलाड़ी को रेड कार्ड मिलते ही भारतीय टीम से 13वें मिनट में हरमनप्रीत ने पेनल्टी कॉर्नर से ब्रिटेन के खिलाफ गोल किया। यह पेनल्टी कॉर्नर अभिषेक ने बनाया था। यह मैच का टर्निंग प्वाइंट भी रहा।

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संजय के कोच राजेंद्र सिहाग ने बताया कि संजय इतनी मेहनत करता था कि वह रात को खाना भी नहीं खा पाता था। वह रोजाना 4 घंटे प्रैक्टिस करता था। घर में खूब दूध-दही खाता था। संजय के माता-पिता उसके खाने-पीने का ध्यान रखते थे और मैं उसके खेल पर ध्यान देता था।

संजय ने 2012 में खेलना शुरू किया। जब शुरू में संजय आया तो वह दुबला पतला था, इसलिए मैंने उसे हॉकी खेलने का चांस दिया। 15 दिनों में उसका खेल निखर कर सामने आने लगा। मैं समझ गया था कि यह लड़का आगे चलकर नाम रोशन करेगा।

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