Launch Akali Dal Bachao Movement
शिरोमणि अकाली दल का विद्रोही गुट आज सोमवार श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह से मुलाकात करने पहुंच गए हैं। इस मुलाकात व श्री अकाल तख्त साहिब पर माथा टेकने के बाद विद्रोही गुट की तरफ से अकाल दल बचाओ लहर की शुरुआत होगी। वहीं, श्री दमदमा साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने दोनों पक्षों को बैठ कर समस्या का हल निकालने की बात कही है।
विद्रोही गुट की तरफ से पंथक नेता को अध्यक्ष बनाने की मांग पर ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि उन्हें प्रधान बनने के लिए अभी तक किसी ने अप्रोच नहीं किया है। अगर समूची पार्टी उन्हें इस पद के लिए चुनेगी तो वे इस पर विचार करेंगे। अन्यथा गुटबाजी का वे हिस्सा नहीं बनना चाहते हैं।
वहीं, ज्ञानी रघबीर सिंह ने दोनों पक्षों को एक साथ एक कमरे में बैठ कर बात करने की सलाह दी। उनका कहना था कि अकाली दल पुरानी व पंथक पार्टी है। इस पार्टी में गुटबाजी का होना ठीक नहीं है।
अकाली दल विद्रोही गुट की बात करें तो इसका नेत्रित्व प्रेम सिंह चंदूमाजरा कर रहे हैं। जबकि उनका साथ सिकंदर मलूका, सुरजीत रखड़ा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदूमाजरा, किरणजोत कौर, मनजीत सिंह, सुरिंदर भुल्लेवाल, गुरप्रताप वडाला, चरणजीत बराड़, हरिंदर पाल टोहरा और गगनजीत बरनाला आदि दे रहे हैं। ये गुट लगातार झूंदा कमेटी, जिसे 2022 में भी लागू करने की मांग उठी थी, पर विचार करने का दबाव बना रहे हैं। हालांकि इसमें पार्टी प्रधान बदलने का प्रस्ताव नहीं है, लेकिन ये लिखा गया है कि पार्टी अध्यक्ष 10 साल के बाद रिपीट नहीं होगा।
झूंदा रिपोर्ट पर जब अमल नहीं हुआ तो इसे सार्वजनिक नहीं किया गया था। झूंदा ने सार्वजनिक तौर पर बयान जारी किया था कि 117 विधानसभा हलकों में से 100 में जाकर उन्होंने इस रिपोर्ट को तैयार किया है। इस रिपोर्ट में कुछ जानकारियां 2022 में सांझी की थी।
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तब अकाली नेताओं ने कहा था कि झूंदा रिपोर्ट में 42 सुझाव दिए गए हैं। पार्टी प्रधान को बदले जाने का रिपोर्ट में कहीं जिक्र नहीं है। लेकिन, भविष्य में पार्टी प्रधान के चुने जाने की तय सीमा जरूर तय की गई है।
ये भी बात उठाई गई कि अकाली दल अपने मूल सिद्धांतों से भटका है और राज्य सत्ता में रहने के मकसद से कई कमियां आई हैं।
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