जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने सचखंड श्री दरबार साहिब में मत्था टेका
जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके फारूक अब्दुल्ला आज श्री हरमंदिर साहिब में माथा टेकने पहुंचे, जहां पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि अगर देश एकजुट होगा तभी हम किसी भी समस्या का सामना कर पाएंगे. उन्होंने कहा कि अमेरिका फर्स्ट क्यों कहा जाता है? हमें इंडिया फर्स्ट कहने की आदत डालनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारत सभी धर्मों और जातियों का साझा देश है. उन्होंने कहा कि भारत उनका भी है जिनका कोई धर्म नहीं है और इस भावना को आज की सरकारों को समझना होगा.
जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश बनाने पर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि जो राज्य देश का ताज था, उसके साथ केंद्र ने कालिख पोत दी है. उन्होंने कहा कि राज्य के अधिकारों का वादा गृह मंत्री और प्रधानमंत्री ने संसद में किया है. उन्हें उम्मीद है कि गृह मंत्री और प्रधानमंत्री इस वादे पर खरा उतरेंगे. उन्होंने कहा कि जब वे एक साथ आएंगे तो इसका असर जरूर दिखेगा. उन्होंने इसका उदाहरण पिछले किसान आंदोलन से दिया जिसमें केंद्र ने तीनों कानूनों को वापस लेने से साफ इनकार कर दिया था. यह कानून उल्टा प्रतीत हो रहा था, लेकिन जनता की ताकत ने केंद्र को यह कानून वापस लेने पर मजबूर कर दिया।
कश्मीर मुद्दे के समाधान की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि यूरोपीय संघ की तरह सार्क देशों को भी एक साथ मिलकर ऐसे सभी मुद्दों को सुलझाना चाहिए। तभी ये सभी मुद्दे सुलझ सकते हैं। दुनिया भर में फैली शांति और हथियारों की बात करते हुए उन्होंने कहा कि अगर दुनिया में अशांति नहीं होगी तो उन कंपनियों को क्या फायदा होगा जो बड़ी संख्या में हथियार, जहाज और गोला-बारूद बनाती हैं?
उन्होंने अपना माल बेचने के लिए पूरी दुनिया में अशांति का माहौल बना रखा है। अमेरिका द्वारा भारतीयों को वापस भेजे जाने के बारे में बात करते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम उस देश से क्या उम्मीद कर सकते हैं जो भारतीयों को 16 घंटे की फ्लाइट में हाथ बांधकर लाता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा दो दशमलव एक मिलियन डॉलर के फंड को रोके जाने के बारे में उन्होंने कहा कि इस बात का खुलासा होना चाहिए कि वह फंड किसे भेजा गया और उसका किस उद्देश्य से इस्तेमाल किया गया।
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उन्होंने कहा कि इसे लेकर अलग-अलग पार्टियां एक-दूसरे पर आरोप लगा रही हैं। लेकिन उनकी नजर में इससे कोई नतीजा नहीं निकलने वाला है। स्वर्ण मंदिर पहुंचकर फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि वह पहले भी कई बार स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने आते रहे हैं क्योंकि यहां अपार आध्यात्मिक शांति का अनुभव होता है और वह आज यहां सभी के कल्याण के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने आए हैं।