Today Hukamnama
रागु बिलावलु महला ५ दुपदे घरु ५
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
अवरि उपाव सभि तिआगिआ दारू नामु लइआ ॥ ताप पाप सभि मिटे रोग सीतल मनु भइआ ॥१॥
गुरु पूरा आराधिआ सगला दुखु गइआ ॥ राखनहारै राखिआ अपनी करि मइआ ॥१॥ रहाउ ॥
बाह पकड़ि प्रभि काढिआ कीना अपनइआ ॥ सिमरि सिमरि मन तन सुखी नानक निरभइआ ॥२॥१॥६५॥(अर्थ)
(अंग 817 – गुरु ग्रंथ साहिब जी)
(गुरू अर्जन देव जी / राग बिलावलु / -)
रागु बिलावलु महला ५ दुपदे घरु ५
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
अन्य सब उपाय त्यागकर नाम रूपी दवा ली है। इससे ताप, पाप एवं सभी रोग मिट गए हैं और मन शीतल शांत हो गया है॥ १॥
पूर्ण गुरु की आराधना करने से सारा दुख दूर हो गया है। रखवाले परमात्मा ने कृपा करके बचा लिया है॥ १॥ रहाउ॥
प्रभु ने मेरी बांह पकड़कर मुझे भवसागर में से बाहर निकाल लिया है। हे नानक ! भगवान् का सिमरन करके मन-तन सुखी हो गया है और निडर हो गया हूँ॥ २ ॥ १ ॥ ६५ ॥
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