Saturday, November 23, 2024
Google search engine
Saturday, November 23, 2024
HomeUncategorizedश्री दरबार साहिब अमृतसर से आज का हुकमनामा

श्री दरबार साहिब अमृतसर से आज का हुकमनामा

Today Hukamnama

सोरठि महला ९ ॥
इह जगि मीतु न देखिओ कोई ॥ सगल जगतु अपनै सुखि लागिओ दुख मै संगि न होई ॥१॥ रहाउ ॥
दारा मीत पूत सनबंधी सगरे धन सिउ लागे ॥ जब ही निरधन देखिओ नर कउ संगु छाडि सभ भागे ॥१॥
कहंउ कहा यिआ मन बउरे कउ इन सिउ नेहु लगाइओ ॥ दीना नाथ सकल भै भंजन जसु ता को बिसराइओ ॥२॥
सुआन पूछ जिउ भइओ न सूधउ बहुतु जतनु मै कीनउ ॥ नानक लाज बिरद की राखहु नामु तुहारउ लीनउ ॥३॥९॥(अर्थ)


सोरठि महला ९ ॥
मैंने इस दुनिया में कोई घनिष्ठ मित्र नहीं देखा है। सारी दुनिया अपने सुख में ही मग्न है और दुःख में कोई किसी का साथी नहीं बनता ॥ १॥ रहाउ॥
पत्नी, मित्र, पुत्र एवं सभी रिश्तेदारों का केवल धन-दौलत से ही लगाव है। जब ही वे मनुष्य को निर्धन होता देखते हैं तो सभी उसका साथ छोड़कर दौड़ जाते हैं।॥ १॥
मैं इस बावले मन को क्या उपदेश दूँ ? इसने तो केवल इन सभी स्वार्थियों से ही स्नेह लगाया हुआ है। इसने उस प्रभु का यश भुला दिया है जो दीनों का स्वामी एवं सभी भय नाश करने वाला है॥ २॥
मैंने अनेक यत्न किए हैं परन्तु यह मन कुत्ते की पूंछ की तरह टेढ़ा ही रहता है और सीधा नहीं होता। नानक का कथन है कि हे ईश्वर ! अपने विरद् की लाज रखो; चूंकि मैं तो तुम्हारा ही नाम-सिमरन करता हूँ॥ ३॥ ६ ॥

Today Hukamnama

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments