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श्री दरबार साहिब से आज का हुकमनामा

Today Hukamnama

आसा ॥
आनीले कु्मभ भराईले ऊदक ठाकुर कउ इसनानु करउ ॥ बइआलीस लख जी जल महि होते बीठलु भैला काइ करउ ॥१॥
जत्र जाउ तत बीठलु भैला ॥ महा अनंद करे सद केला ॥१॥ रहाउ ॥
आनीले फूल परोईले माला ठाकुर की हउ पूज करउ ॥ पहिले बासु लई है भवरह बीठल भैला काइ करउ ॥२॥
आनीले दूधु रीधाईले खीरं ठाकुर कउ नैवेदु करउ ॥ पहिले दूधु बिटारिओ बछरै बीठलु भैला काइ करउ ॥३॥
ईभै बीठलु ऊभै बीठलु बीठल बिनु संसारु नही ॥ थान थनंतरि नामा प्रणवै पूरि रहिओ तूं सरब मही ॥४॥२॥

(अर्थ)
(अंग 485 – गुरु ग्रंथ साहिब जी)
(भक्त नामदेव जी / राग आसा / -)
आसा ॥
मैं घड़ा लाकर उसे जल से भरकर यदि ठाकुर जी को स्नान कराऊँ तो यह स्वीकृत नहीं क्योंकि बयालीस लाख जीव इस जल में रहते हैं, फिर विद्वल भगवान को उस जल से कैसे स्नान करवा सकता हूँ॥ १ ॥
जहाँ कहीं भी जाता हूँ, उधर ही विठ्ठल भगवान मौजूद है। वह विठ्ठल महा आनंद में सदा लीला करता रहता है।॥ १॥ रहाउ ॥
यदि मैं फूल लाकर उन्हें माला में पिरोकर ठाकुर जी की पूजा करूँ, क्योंकि पहले उन फूलों से भेंवरे ने सुगन्धि ले ली है और वे जूठे हो गए हैं फिर मैं कैसे विठ्ठल भगवान की पूजा कर सकता हूँ॥ २॥
दूध लाकर खीर बनाकर नैवेद्य कैसे अपने ठाकुर को भेंट करूँ ? क्योंकि पहले बछड़े ने दूध को पीकर जूठा कर दिया है, इससे मैं बिठ्ठल को कैसे भोग लगा सकता हूँ॥ ३॥
यहाँ भी विठ्ठल भगवान है, वहाँ भी विठ्ठल भगवान है। बिट्टल के बिना संसार का अस्तित्व नहीं। नामदेव प्रार्थना करता है, हे विठ्ठल भगवान ! विश्व के कोने-कोने में हर जगह तू ही सब में बस रहा है॥ ४॥ २॥

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