Today Hukamnama
रामकली महला १ ॥
सुरति सबदु साखी मेरी सिंङी बाजै लोकु सुणे ॥ पतु झोली मंगण कै ताई भीखिआ नामु पड़े ॥१॥
बाबा गोरखु जागै ॥ गोरखु सो जिनि गोइ उठाली करते बार न लागै ॥१॥ रहाउ ॥
पाणी प्राण पवणि बंधि राखे चंदु सूरजु मुखि दीए ॥ मरण जीवण कउ धरती दीनी एते गुण विसरे ॥२॥
सिध साधिक अरु जोगी जंगम पीर पुरस बहुतेरे ॥ जे तिन मिला त कीरति आखा ता मनु सेव करे ॥३॥
कागदु लूणु रहै घ्रित संगे पाणी कमलु रहै ॥ ऐसे भगत मिलहि जन नानक तिन जमु किआ करै ॥४॥४॥
(अर्थ)
रामकली महला १ ॥
अनहद शब्द की ध्वनि को सुरति द्वारा सुनना ही मेरी सिंगी है, जब अनहद शब्द बजता है तो इसे सभी लोग सुनते हैं। नाम मॉगने के लिए स्वयं को योग्य बनाना ही मेरी झोली है,जिस में नाम रूपी भिक्षा डाली जाती है।१॥
हे बाबा ! गोरख सदैव जाग्रत है। गोरख वही (परमेश्वर) है, जिसने पृथ्वी को उठाकर उसकी रक्षा की थी और ऐसा करते देरी नहीं लगी ॥ १॥रहाउ॥
परमात्मा ने पवन-पानी इत्यादि पाँच तत्वों द्वारा प्राणों को बाँधकर रखा हुआ है और संसार में उजाला करने के लिए सूर्य एवं चन्द्रमा दो दीपक प्रज्वलित किए हुए हैं। उसने मरने एवं जीने के लिए जीवों को धरती दी हुई है लेकिन जीव को उसके इतने सब उपकार भूल गए हैं।॥ २॥
संसार में सिद्ध-साधक, योगी, जंगम एवं अनेक पीर-पैगम्बर हैं, यदि उनसे मेरी मुलाकात हो तो भी परमात्मा की स्तुति करता हूँ और मेरा मन प्रभु की सेवा करे॥ ३॥
जैसे कागज एवं नमक घी के साथ सुरक्षित रहते हैं (अर्थात् खराब नहीं होते) और कमल का फूल जल में खिला रहता है, हे नानक ! वैसे ही जिन्हें ऐसे भक्त मिल जाते हैं, यम उनका क्या बिगाड़ सकता है। ॥४ ॥ ४ ॥
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