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पंजाब में अकाली दल-BJP में कुछ तय नहीं:गृहमंत्री अमित शाह ने अटकलों को किया साफ; कहा- बातचीत अभी चल रही है

Akali Dal BJP Alliance Update

पंजाब में भाजपा-अकाली दल गठबंधन को लेकर चल रही अटकलों को देश के गृहमंत्री अमित शाह ने साफ कर दिया है। एक इंटरव्यू में उन्होंने पंजाब में राजनीतिक विस्तार पर अपने विचार रखे हैं। कहा है कि पंजाब में अकाली दल के साथ अभी कुछ तय नहीं हुआ है। BJP ने आज तक अपने किसी भी साथी को जाने के लिए नहीं कहा।

अमित शाह ने देश में BJP गठजोड़ पर कहा कि देश में एक प्रकार से आइडियोलॉजी के अनुसार सभी पार्टियां अपना पॉलिटिकल निर्णय करें। लेकिन, ऐसा हो नहीं पाता। BJP अपने एजेंडा, अपने प्रोग्राम और आइडियोलॉजी के अनुसार अपनी जगह स्थिर है। कई साथी आते हैं, चले जाते हैं।

जाने के 2 प्रकार के कारण बनते हैं। उनमें कई बार घटनाएं तो कई बार राज्य की पॉलिटिकल इक्वेशन के कारण ऐसा कदम उठाना पड़ता है। लेकिन, BJP ने कभी किसी को NDA से नहीं निकाला। हमेशा गठबंधन का धर्म निभाया है। कई ऐसी जगहें हैं, जहां BJP बड़ा दल बन कर आई। लेकिन, हमने छोटे दल को मुख्यमंत्री चुनने का मौका दिया। कई जगह हमें पूर्ण बहुमत मिला, फिर भी साथियों को मंत्रिपरिषद में अहम स्थान दिया।

अकाली दल से चल रही है बात
अमित शाह ने साफ किया कि अकाली दल पर अभी कुछ तय नहीं हुआ है। बातचीत चल रही है। लेकिन हालात, समीकरण और BJP के कुछ क्षेत्रीय नेता इसके हक में नहीं दिख रहे।

BJP नेता पहले जैसे हालात नहीं चाहते
दरअसल, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की तरह ही BJP की राज्य इकाई इस पर सहमत नहीं है। पुराने और टकसाली BJP नेताओं का साफ कहना है कि अगर अकाली दल के साथ BJP हाथ मिलाती है तो पुराने जैसे हालात फिर बन जाएंगे, जहां सरकार बनने के बाद भी BJP को साइड लाइन कर दिया जाता था।

BJP का विकास हो जाएगा धीमा
वहीं, पंजाब में BJP अपना विकास व विस्तार करने में जुटी हुई है। BJP नेताओं का मानना है कि अकाली दल का साथ छूटने के बाद BJP ने खुद को ग्रामीण और कई शहरी इलाकों में मजबूत किया है। बीते समय में BJP की बैठकों में भी इस मुद्दे को उठाया गया था।

कांग्रेस व अकाली दल छोड़ BJP में आए सीनियर नेताओं के कारण BJP भी पहले से अधिक मजबूत हुई है। अगर BJP दोबारा से अकाली दल का साथ चुनती है तो BJP जो विकास व विस्तार पंजाब में कर रही है, वह एक बार फिर रुक जाएगा।

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कृषि कानूनों के बाद हुए थे अलग
अकाली दल, भाजपा के सबसे पुराने सहयोगियों में से एक था। लेकिन, उसने कृषि कानूनों का विरोध करने के लिए संबंध तोड़ लिए। इन कानूनों को, विशेष रूप से पंजाब में और हरियाणा व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसानों के विरोध प्रदर्शन के चलते बाद में रद्द कर दिया गया था।

वहीं, अब अटकलें ये भी चल रही हैं कि अकाली दल 8-5 और BJP 7-6 शेयरिंग के फॉर्मूला को लेकर बातचीत कर रही है।

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