CM Sukhvinder Singh Sukhu
राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस विधायकों की भाजपा के पक्ष में वोटिंग के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार खतरे में आ गई है। एक राज्यसभा सीट के लिए मंगलवार को हुए चुनाव में कांग्रेस के 6 और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग की।
इसके बाद हिमाचल के नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर बुधवार को गवर्नर शिव प्रताप शुक्ला से मिलने पहुंचे। ठाकुर ने फ्लोर टेस्ट की मांग की है। अगर गवर्नर विपक्ष की मांग पर बहुमत साबित करने को कहते हैं तो मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू मुश्किल में पड़ सकते हैं।
इसकी एक और वजह है। क्रॉस वोटिंग करने वाले एक विधायक ने कांग्रेस हाईकमान से सुक्खू को CM पद से हटाने की मांग की है। कहा है कि अगर ऐसा होता है तो वे वापस आ सकते हैं।
सरकार गिरने के खतरे के बीच हालात संभालने के लिए कांग्रेस ऑब्जर्वर हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार शिमला पहुंच गए हैं।
सुक्खू सरकार के सामने मुश्किल क्यों आ सकती है?
हिमाचल में 68 सीटें हैं और बहुमत 35। 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 40 और भाजपा को 25 सीटें मिली थीं। 3 सीटों पर निर्दलीय विधायक जीते। अब 6 कांग्रेस विधायकों की क्रॉस वोटिंग भाजपा के पक्ष में हुई है। अगर ये पाला बदलते हैं तो सुक्खू सरकार के पास 34 सीटें बचेंगी, यानी बहुमत से एक कम।
कांग्रेस के पास क्या रास्ता है?
मौजूदा स्थिति में BJP के पास अब संख्या बल ज्यादा हो सकता है पर कांग्रेस के लिए थोड़ी राहत एंटी डिफेक्शन लॉ से मिल जाएगी। इस कानून के तहत क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट में सरकार के खिलाफ वोट नहीं डाल पाएंगे। इस लॉ के मुताबिक एक पार्टी का विधायक दूसरे दल को वोट नहीं दे सकता है। अगर वोट देता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है। ये लॉ राज्यसभा चुनाव की वोटिंग में लागू नहीं होता है। बाकी जगह लागू होता है।
क्या सुक्खू का CM पद जा सकता है?
कांग्रेस विधायक राजेंद्र राणा ने कांग्रेस हाईकमान से बात की और मुख्यमंत्री सुक्खू को पद से हटाने की मांग की है। राणा ने प्रदेश कांग्रेस प्रभारी राजीव शुक्ला और राष्ट्रीय महासचिव संगठन केसी वेणुगोपाल को फोन करके जानकारी दी कि उन्हें कांग्रेस से कोई दिक्कत नहीं है, बल्कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू से है। राणा ने कहा कि मुख्यमंत्री को हटाया जाता है तो वे वापस आने को तैयार हैं। डिप्टी CM मुकेश अग्निहोत्री और PWD मंत्री विक्रमादित्य सिंह मुख्यमंत्री पद के सशक्त दावेदार माने जा रहे हैं।
कांग्रेस हाईकमान ने क्या कदम उठाया?
हिमाचल को लेकर कांग्रेस हाईकमान एक्टिव हो गई है। हरियाणा के पूर्व CM भूपेंद्र हुड्डा और कर्नाटक के डिप्टी CM डीके शिवकुमार को संकट सुलझाने की जिम्मेदारी दी गई है। दोनों नेता आज शिमला पहुंच सकते हैं। हिमाचल DGP ने शिमला में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है। दूसरे जिलों से रिजर्व बटालियन बुलाई है।
फ्लोर टेस्ट के अलावा कांग्रेस सरकार के सामने क्या चुनौती?
फ्लोर टेस्ट से पहले हिमाचल सरकार के लिए बड़ी चुनौती फाइनेंशियल ईयर 2024-25 का बजट पास कराने की है। पूर्व निर्धारित शेड्यूल के अनुसार कल यानी 29 फरवरी को सदन में बजट पास करना है। मगर सरकार इसे आज भी पारित करने के लिए सदन में ला सकती है।
जानकारों की मानें तो बेशक कांग्रेस विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में एंटी वोट किया है, लेकिन बजट पारित करने में वह एंटी वोट नहीं कर सकेंगे, क्योंकि मुख्य सचेतक ने पहले ही व्हिप जारी कर रखा है। इसे नजरंदाज करने पर पार्टी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई कर सकती है।
कांग्रेस राज्यसभा सीट की जीत को लेकर कॉन्फिडेंस में थी, फिर खेल क्यों पलटा?
हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट अप्रैल में BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल पूरा हो जाने के कारण खाली हो रही है। यहां राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए कम से कम 35 विधायकों के वोट जरूरी हैं। विधानसभा में कांग्रैस को बहुमत है इसलिए वो राज्यसभा चुनाव में अपनी जीत को लेकर आश्वस्त थी। पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी को कैंडिडेट बनाया। बहुमत से 10 सीट कम यानी 25 विधायकों वाली भाजपा ने वीरभद्र सिंह के करीबी और कांग्रेस छोड़कर आए हर्ष महाजन को मैदान में उतारा और चुनाव जीत गए।
राज्यसभा चुनाव से पहले क्या विधायकों ने क्रॉस वोटिंग के संकेत दिए थे?
नहीं, हैरानी इस बात की है कि सोमवार रात को कांग्रेस के सभी MLA ने विधायक दल मीटिंग में मुख्यमंत्री के साथ डिनर किया। मंगलवार को वोटिंग से पहले विधायकों के साथ ब्रेकफास्ट किया। मगर मुख्यमंत्री सुक्खू स्थिति को नहीं भांप सके, जबकि इसकी स्क्रिप्ट उसी दिन लिख दी गई थी जब BJP ने वीरभद्र के करीबी हर्ष को उम्मीदवार बनाया। सुक्खू आखिरी वक्त तक विधायकों की नाराजगी को नहीं भांप सके और देर शाम तक जीत का दावा करते रहे।
किन विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग की?
कांग्रेसी विधायकों में सुजानपुर के राजेंद्र राणा, धर्मशाला के सुधीर शर्मा, कुटलैहड़ के देवेंद्र भुट्टो, बड़सर के आईडी लखनपाल, लाहौल-स्पीति के रवि ठाकुर और गगरेट के चैतन्य शर्मा ने क्रॉस वोट किया है। निर्दलीय देहरा के विधायक होशियार सिंह, नालागढ़ से केएल ठाकुर और हमीरपुर से आशीष शर्मा ने भी भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट दिया।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कांग्रेस विधायक सुदर्शन बबलू के वोट पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री सुक्खू सुदर्शन बबलू को सरकारी हेलिकॉप्टर में होशियारपुर से शिमला लाए और शिमला में मुख्यमंत्री खुद उन्हें रिसीव करने गए। यह सरेआम चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन है।
READ ALSO: 28 February 2024: सभी राशियों के लिए कैसा रहेगा आज का दिन? पढ़िए दैनिक राशिफल
क्या हिमाचल में पहले भी राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग हुई?
हिमाचल में 3 अप्रैल 2000 को भी राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग हुई थी। तब BJP के प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री थे और कांग्रेसी नेता वीरभद्र सिंह विपक्ष के नेता थे। कांग्रेस ने नत्था सिंह और भाजपा ने कृपाल परमार को प्रत्याशी बनाया। उस दौरान दोनों पार्टियों की ओर से क्रॉस वोटिंग हुई, लेकिन कांग्रेस के ज्यादा विधायकों के क्रॉस वोटिंग करने की वजह से कृपाल परमार जीत गए।
CM Sukhvinder Singh Sukhu