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हुक्मनामा श्री दरबार साहिब (12 फ़रवरी 2024)

aaj ka hukamnama

(अंग 715 – गुरु ग्रंथ साहिब जी)
(गुरू अर्जन देव जी / राग टोडी / -)
टोडी महला ५ ॥
गरबि गहिलड़ो मूड़ड़ो हीओ रे ॥ हीओ महराज री माइओ ॥ डीहर निआई मोहि फाकिओ रे ॥ रहाउ ॥
घणो घणो घणो सद लोड़ै बिनु लहणे कैठै पाइओ रे ॥ महराज रो गाथु वाहू सिउ लुभड़िओ निहभागड़ो भाहि संजोइओ रे ॥१॥
सुणि मन सीख साधू जन सगलो थारे सगले प्राछत मिटिओ रे ॥ जा को लहणो महराज री गाठड़ीओ जन नानक गरभासि न पउड़िओ रे ॥२॥२॥१९॥(अर्थ)
(अंग 715 – गुरु ग्रंथ साहिब जी)
(गुरू अर्जन देव जी / राग टोडी / -)
टोडी महला ५ ॥
इस विमूढ़ हृदय को घमण्ड ने जकड़ रखा है। परमेश्वर की माया ने डायन की तरह हृदय को अपने मोह में फँसाया हुआ है॥ रहाउ ॥
यह सदैव ही अत्याधिक धन-दौलत की कामना करता रहता है परन्तु तकदीर में लिखी हुई उपलब्धि के बिना वह इसे कैसे पा सकता है? वह भगवान के दिए हुए धन से फँसा हुआ है। यह दुर्भाग्यशाली हृदय स्वयं को तृष्णा की अग्नि से जोड़ रहा है॥१॥
हे मन ! तू साधुजनों की शिक्षा को ध्यानपूर्वक सुन, इस तरह तेरे समस्त पाप पूर्णतया मिट जाएँगे। हे नानक ! जिसकी किस्मत में ईश्वर-नाम की गठरी से कुछ लेना लिखा हुआ है, वह गर्भ-योनि में नहीं आता और उसे मोक्ष मिल जाता है॥ २ ॥ २॥ १६॥

aaj ka hukamnama

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