Friday, September 20, 2024
Google search engine
HomeUncategorizedहुक्मनामा श्री दरबार साहिब (6 फ़रवरी 2024)

हुक्मनामा श्री दरबार साहिब (6 फ़रवरी 2024)

aaj ka hukamnama

(अंग 491 – गुरु ग्रंथ साहिब जी)
(गुरू अमरदास जी / राग गूजरी / -)
गूजरी महला ३ ॥
तिसु जन सांति सदा मति निहचल जिस का अभिमानु गवाए ॥ सो जनु निरमलु जि गुरमुखि बूझै हरि चरणी चितु लाए ॥१॥
हरि चेति अचेत मना जो इछहि सो फलु होई ॥ गुर परसादी हरि रसु पावहि पीवत रहहि सदा सुखु होई ॥१॥ रहाउ ॥
सतिगुरु भेटे ता पारसु होवै पारसु होइ त पूज कराए ॥ जो उसु पूजे सो फलु पाए दीखिआ देवै साचु बुझाए ॥२॥
विणु पारसै पूज न होवई विणु मन परचे अवरा समझाए ॥ गुरू सदाए अगिआनी अंधा किसु ओहु मारगि पाए ॥३॥
नानक विणु नदरी किछू न पाईऐ जिसु नदरि करे सो पाए ॥ गुर परसादी दे वडिआई अपणा सबदु वरताए ॥४॥५॥७॥(अर्थ)
(अंग 491 – गुरु ग्रंथ साहिब जी)
(गुरू अमरदास जी / राग गूजरी / -)
गूजरी महला ३ ॥
ईश्वर जिस इन्सान का अभिमान दूर कर देता है, उसे शांति प्राप्त हो जाती है तथा उसकी बुद्धि सदैव निश्चल रहती है। वह मनुष्य निर्मल है जो गुरु के उपदेश द्वारा सत्य को समझता है तथा अपने चित्त को हरि-चरणों से लगाता है॥ १॥
हे मेरे अचेत मन ! भगवान को याद कर, तुझे मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। गुरु की कृपा से तुझे हरि-रस प्राप्त होगा, जिसे पान करने से सदैव सुख की उपलब्धि होगी॥ १॥ रहाउ॥
जब मनुष्य की सतिगुरु से भेंट होती है तो वह पारस बन जाता है। जय वह पारस (महान्) बन जाता है तो प्रभु जीवों से उसकी पूजा करवाता है, जो कोई उसकी पूजा करता है, वह फल प्राप्त कर लेता है। दूसरों को दीक्षा देकर वह उनको सत्य-मार्ग पर प्रेरित करता है॥ २॥
पारस (महान्) बने बिना मनुष्य पूजा के योग्य नहीं होता। अपने मन को समझाने के बिना वह दूसरों को समझाता है। अज्ञानी अंधा मनुष्य अपने आपको गुरु कहलवाता है लेकिन क्या वह किसी को मार्गदर्शन कर सकता है ?॥३॥
हे नानक ! प्रभु की दया के बिना कुछ भी प्राप्त नहीं होता। जिस मनुष्य पर भगवान दया-दृष्टि धारण करता है, वह उसे प्राप्त कर लेता है। गुरु की कृपा से प्रभु प्रशंसा प्रदान करता है और अपने शब्द का चारों ओर प्रसार करता है ॥ ४॥ ५॥ ७ ॥

aaj ka hukamnama

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -
Google search engine

Most Popular

Recent Comments