Thursday, September 19, 2024
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HomeHukamnama Sahibअमृतसर श्री हरिमंदर साहिब से आज का हुकमनामा

अमृतसर श्री हरिमंदर साहिब से आज का हुकमनामा

Today Hukamnama

धनासरी महला ५ ॥
पानी पखा पीसउ संत आगै गुण गोविंद जसु गाई ॥ सासि सासि मनु नामु सम्हारै इहु बिस्राम निधि पाई ॥१॥
तुम्ह करहु दइआ मेरे साई ॥ ऐसी मति दीजै मेरे ठाकुर सदा सदा तुधु धिआई ॥१॥ रहाउ ॥
तुम्हरी क्रिपा ते मोहु मानु छूटै बिनसि जाइ भरमाई ॥ अनद रूपु रविओ सभ मधे जत कत पेखउ जाई ॥२॥
तुम्ह दइआल किरपाल क्रिपा निधि पतित पावन गोसाई ॥ कोटि सूख आनंद राज पाए मुख ते निमख बुलाई ॥३॥
जाप ताप भगति सा पूरी जो प्रभ कै मनि भाई ॥ नामु जपत त्रिसना सभ बुझी है नानक त्रिपति अघाई ॥४॥१०॥

(अर्थ)
धनासरी मः ५ ॥
मैं संतों की सेवा में पानी ढोता, पंखा करता और गेहूँ पीसता हूँ और गोविन्द का ही यशोगान करता हूँ। मेरा मन श्वास-श्वास से नाम जपता रहता है और मैंने यह नाम रूपी सुखों की निधि प्राप्त कर ली है॥ १॥
हे मेरे मालिक ! मुझ पर दया करो। हे मेरे ठाकुर ! मुझे ऐसी सुमति दीजिए कि मैं सर्वदा ही तेरा ध्यान करता रहूँ॥ १॥ रहाउ॥
तेरी कृपा से मेरा मोह एवं अभिमान छूट जाए और मेरा भ्रम भी मिट जाए। आनंद का स्वरूप वह प्रभु सबमें समाया हुआ है, मैं जिधर भी जाता हूँ, उसे ही देखता हूँ॥ २॥
हे पतितपावन सृष्टि के स्वामी ! तुम बड़े दयालु, कृपालु एवं कृपानिधि हो। मैंने अपने मुँह से एक क्षण भर तेरे नाम का उच्चारण करके राज-भाग के करोड़ों सुख एवं आनंद पा लिए हैं।॥३॥
केवल वही पूजा, तपस्या एवं भक्ति पूर्ण होती है, जो प्रभु के मन में भा गई है। हे नानक ! नाम का जाप करने से मेरी सारी तृष्णा बुझ गई है, अब मैं तृप्त एवं संतृष्ट हो गया हूँ॥ ४॥ १०॥

Today Hukamnama

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