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हरियाणा सरकार SC के आरक्षण में कर सकती है वर्गीकरण

Haryana SC Reservation Classification

हरियाणा में सरकार नौकरियों में एससी के आरक्षण में वर्गीकरण कर सकती है। इसे लेकर हरियाणा एससी कमीशन से रिपोर्ट ली जाएगी। राज्य में 2020 में सरकार ने उच्चतर शिक्षा विभाग में वर्गीकरण में आरक्षण कर दिया था, जिसके अनुसार 20 प्रतिशत आरक्षित सीटों में 50 प्रतिशत सीटें वंचित एससी की 36 जातियों के लिए तय हुई थी, लेकिन नौकरियों में ऐसा नहीं है।

अब सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा है कि राज्य चाहें तो एससी के आरक्षण में वर्गीकरण किया जा सकता है। यह मामला गुरुवार को कैबिनेट में राज्य मंत्री बिशंभर वाल्मीकि ने उठाया, जिस पर निर्णय लिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर एससी कमीशन से रिपोर्ट मांगी जाएगी।

सूत्रों की मानें तो मंत्री ने बताया कि राज्य में 90 में से 64 ऐसी विधानसभा हैं, जहां एससी के मतदाताओं में वंचित एससी वर्ग के लगभग 70 प्रतिशत मतदाता हैं। इनमें 52 विधानसभा सीटों पर उन्होंने 70 प्रतिशत तो 12 पर 60 से 70 प्रतिशत मतदाता बताए हैं। मंत्री ने कहा कि उनसे इस वर्ग के लोग मिलकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू करने की मांग कर रहे हैं। तेलंगाना सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अगले ही दिन वर्गीकरण में आरक्षण लागू कर दिया।

मंत्री बिशंभर वाल्मीकि ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद तेलंगाना वंचित अनुसूचित जातियों को आरक्षण के आदेश कर चुका है। पंजाब में पहले से ही आरक्षण है। ऐसे में हरियाणा में भी इन जातियों को एससी के आरक्षण में 50 प्रतिशत आरक्षण मिलना चाहिए। इसे लेकर कैबिनेट में बात रखी थी।

आद धर्मी, वाल्मीकि, बंगवाली, बेरार, बटवाल, बावरिया, बाजीगर, भंजारा, चनल, डागी, डारेन, देहा, धानक, सिग्गी, डूम, गागरा, गांधीला, जुलाहा, खटीक, कोली, मरीहा, मजहबी सिख, मेघवाल, नट, ओड, पासी, पेरना, फेरारा, सन्हाई, सन्हाल, सांसी, संसोई, सपेरा, सरेरा, सिक्लीगर, सिरकीबंद शामिल है।

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पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि प्रदेश में 1994 में तत्कालीन भजन लाल सरकार ने एससी के आरक्षण में वर्गीकरण किया था। इसके अनुसार नौकरियां भी मिलीं, लेकिन बाद में मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंचा और 2006 में इस वर्गीकरण को खत्म किया गया। बाद में मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा।

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