क्या ट्रंप के ख़िलाफ़ एक साथ लड़ेंगे चीन और भारत ?

क्या ट्रंप के ख़िलाफ़ एक साथ लड़ेंगे चीन और भारत ?

चीन और अमेरिका के बीच टैरिफ को लेकर तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है. अमेरिका ने चीनी इंपोर्ट पर 20 प्रतिशत टैरिफ का ऐलान किया है. इन सबके बीच अब चीन की निगाहें भारत पर आकर टिक गई हैं. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने शुक्रवार को नई दिल्ली और बीजिंग से मिलकर काम करने और आधिपत्यवाद और सत्ता की राजनीति का विरोध करने में अहम भूमिका निभाने की अपील की है. उनका यह बयान अमेरिका से चल रहे विवाद के संदर्भ में माना जा रहा है.

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की बैठक के बाद कहा, ड्रैगन और एलिफेंट को नचाना एक वास्तविकता है और यही एकमात्र सही विकल्प है. उन्होंने कहा, एक दूसरे को कमजोर करने के बजाय एक दूसरे का समर्थन करना और सहयोग को मजबूत करना दोनों लोगों और राष्ट्रों के मौलिक हितों में है. 

उन्होंने कहा, अगर दोनों देश, जो एशिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भी हैं, अगर साथ आते हैं तो अंतर्राष्ट्रीय संबंधों का लोकतंत्रीकरण और 'ग्लोबल साउथ' का विकास और मजबूती एक उज्जवल भविष्य होगा. ‘ग्लोबल साउथ’ से तात्पर्य उन देशों से है जिन्हें अक्सर विकासशील, कम विकसित या अविकसित कहा जाता है और जो मुख्य रूप से अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका में स्थित हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'ग्लोबल साउथ' का इस्तेमाल अक्सर करते हुए देखा जाता है.  

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चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि भारत और चीन के संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है और पूर्वी लद्दाख में चार साल से अधिक समय तक चले सैन्य गतिरोध के पिछले वर्ष समाप्त होने के बाद सभी स्तरों पर उत्साहजनक नतीजे मिले हैं. वांग ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान शहर में सफल बैठक के बाद पिछले वर्ष चीन-भारत संबंधों में सकारात्मक प्रगति हुई है. उन्होंने कहा कि इसके बाद दोनों पक्षों ने नेताओं के बीच बनी आम समझ का ईमानदारी से पालन किया, सभी स्तरों पर आदान-प्रदान और व्यावहारिक सहयोग को मजबूत किया और कई सकारात्मक परिणाम हासिल किए.

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हालांकि, भारत ने अभी तक इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है. इससे पहले गुरुवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत सरकार चीन के साथ संबंधों के लिए सकारात्मक दिशा तय करने के लिए काम कर रही है.