किसान ओम प्रकाश भांबू कर रहे हैं मल्चिंग के लिए पराली का उपयोग, जल संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता में हो रही वृद्धि
By NIRPAKH POST
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फाजिल्का, 8 मार्च
फाजिल्का जिले के प्रगतिशील किसान जहां बागवानी में नई ऊंचाइयां छू रहे हैं, वहीं अपने नवाचारों से अन्य किसानों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन रहे हैं। ऐसे ही एक किसान हैं गांव रामकोट के ओम प्रकाश भांबू, जो किन्नू के बागों में मल्चिंग के लिए पराली का उपयोग कर रहे हैं।
ओम प्रकाश भांबू ने बताया कि वह प्रति एकड़ चार टन पराली किन्नू बागों में बिछाते हैं। यह कार्य वह फरवरी-मार्च माह में खाद डालने के बाद करते हैं। पराली मिट्टी के तापमान को नियंत्रित रखती है और नमी को उड़ने से बचाती है, जिससे फसलों को लाभ मिलता है।
उन्होंने बताया कि गांव में नहरी पानी की कमी के चलते उन्होंने अपने बागों में ड्रिप सिंचाई प्रणाली (बूँद-बूँद सिंचाई) लगाई हुई है। इससे पानी की बचत होती है और पराली बिछाने से पानी के वाष्पीकरण में और कमी आती है। इसके अतिरिक्त, गर्मी के मौसम में अत्यधिक तापमान से फलों के बागों को नुकसान नहीं होता और पौधों की जड़ें सही तापमान पर बनी रहती हैं, जिससे बागों की वृद्धि अच्छी होती है।
ओम प्रकाश भांबू का कहना है कि छह-सात महीनों में पराली खाद में बदल जाती है, जिससे मिट्टी में जैविक तत्वों की मात्रा बढ़ती है। वह पांच एकड़ में स्वयं धान की खेती करते हैं और शेष पराली अन्य किसानों से खरीदकर बागों में उपयोग करते हैं।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञ डॉ. जगदीश अरोड़ा ने बताया कि यदि किसान पराली का उपयोग बागों में करें तो यह बेहद लाभकारी सिद्ध हो सकता है। उनके अनुसार, प्रति एकड़ चार टन पराली का उपयोग सही मात्रा है और इसे बागों में बिछाने का यही उपयुक्त समय है।
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