गुजरात के जामनगर में हुए विमान क्रैश में हरियाणा के जवान की मौत ! कुछ दिन पहले हुई थी सगाई

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गुजरात के जामनगर में हुए  विमान  क्रैश में हरियाणा के जवान की मौत ! कुछ दिन पहले हुई थी सगाई


भारतीय वायुसेना का एक जगुआर लड़ाकू विमान बुधवार रात को नियमित प्रशिक्षण उड़ान के दौरान गुजरात के जामनगर के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना में हरियाणा के रेवाड़ी जिले के 28 वर्षीय पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव शहीद हो गए थे। कुछ ही दिनों पहले उनकी सगाई हुई थी और नवंबर में उनकी शादी तय थी। सिद्धार्थ के परिवार में उनकी शादी की तैयारियां चल ही रही थी कि अचानक उनके शहीद होने की खबर सामने आई। सिद्धार्थ की शहादत से परिवार की खुशियां मातम में बदल गई। सिद्धार्थ अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे।

सिद्धार्थ के परिजनों ने बताया कि 23 मार्च को उसकी सगाई हुई थी। 31 मार्च को वे रेवाड़ी से छुट्टी पूरी कर जामनगर एयरफोर्स स्टेशन पहुंचे थे और दो दिन बाद ही हादसे में शहादत की खबर सामने आई।

शहीद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव के पिता सुशील यादव ने कहा कि 2 अप्रैल की रात सिद्धार्थ जगुआर विमान लेकर निकले थे। उनके साथ एक साथी भी थे। इसी दौरान जगुआर में कुछ तकनीकी खराबी आ गई। प्लेन की सेफ लैंडिंग की तमाम कोशिशें की गईं, लेकिन एक समय ऐसा आया जब पता चल गया कि विमान का क्रैश होना तय है। इसके बाद फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धार्थ यादव और उनके सह-पायलट ने इस बात का ध्यान रखा कि विमान घनी आबादी वाले इलाकों से दूर खुले मैदान में दुर्घटनाग्रस्त हो, जिससे नागरिक हताहत होने से बच जाए। अपनी जान की परवाह किए बिना सिद्धार्थ ने अपने साथी को सुरक्षित बाहर निकाला और विमान घनी आबादी में न गिरे, इसके प्रयास किए। उनके सह-पायलट सुरक्षित रूप से बाहर निकलने में कामयाब रहे और फिलहाल उनका जामनगर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। हालांकि, सिद्धार्थ शहीद हो हुए। यह हादसा जामनगर शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर सुवरदा गांव में बुधवार रात करीब 9:30 बजे हुई। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि विमान के टकराने पर उसमें आग लग गई और मलबा पूरे मैदान में बिखर गया। स्थानीय निवासी घटनास्थल पर पहुंचे और अधिकारियों को सूचना दी।

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फ्लाइट लेफ्टिनेंट यादव ऐसे परिवार से थे जिसका सैन्य सेवा का लंबा इतिहास रहा है। उनके परदादा ब्रिटिश शासन के दौरान बंगाल इंजीनियर्स में सेवारत थे, उनके दादा अर्धसैनिक बलों का हिस्सा थे और उनके पिता भी एलआईसी में शामिल होने से पहले भारतीय वायुसेना में सेवारत थे। सिद्धार्थ अपने परिवार में देश की सेवा करने वाली चौथी पीढ़ी थे। 2016 में एनडीए की परीक्षा पास करने के बाद सिद्धार्थ ने फाइटर पायलट बनने से पहले 3 साल की कड़ी ट्रेनिंग ली थी।

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दो साल की सेवा के बाद उन्हें फ्लाइट लेफ्टिनेंट के पद पर पदोन्नत किया गया था। सुशील यादव ने बताया कि ‘वह एक प्रतिभाशाली छात्र था। मुझे उस पर बहुत गर्व है, उसने एक जान बचाते हुए अपनी जान गंवा दी, लेकिन यह दुख की बात भी है क्योंकि वह मेरा इकलौता बेटा था।’

 

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